प्रश्न - 𝟏. होआ-होआ आंदोलन की विवेचना करें ।
उत्तर- यह एक बौद्धिस्ट धार्मिक क्रांतिकारी आंदोलन था। इसकी शुरुआत 1939 ईस्वी में हुई। इसके नेता हुड़ंन्त फुसो था। इसमें क्रांतिकारी उग्रवादी घटनाओं को भी अंजाम देते थे, जिसमें आत्म-दाह तक भी शामिल होता था।
प्रश्न - 𝟐. स्लम पद्धति की शुरुआत कैसे हुई ?
उत्तर- औद्योगिकरण ने स्लम पद्धति की शुरुआत की। मजदूर शहरों में छोटे-छोटे घरों में जहां किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं थी रहने को बाध्य थे। आगे चलकर उत्पादन के उचित वितरण के लिए आंदोलन शुरू किए। चुँकि पूंजीपति द्वारा उनका बुरी तरह शोषण किया जाता था। इसलिए उन्होंने अपना संगठन बना कर पूंजीपतियों के खिलाफ वर्ग-संघर्ष की शुरुआत की।
प्रश्न - 𝟑. चंपारण सत्याग्रह का वर्णन करें।
उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में चंपारण सत्याग्रह का विशेष महत्व है। भारत में महात्मा गांधी के द्वारा किया गया यह पहला सत्याग्रह था। इस सत्याग्रह के सफलता में राष्ट्रीय आंदोलन का एक नया मोड़ साबित हुआ।
चंपारण में मूल समस्या किसानों की थी। यहां तिनकठिया प्रथा का प्रचलन था। अर्थात् यहां के किसानों को अपने प्रति बीघा तीन कट्ठा (3/20) भूमि पर नील की खेती अनिवार्य रूप से करना पड़ता था। इस कार्य के लिए नीलहे साहब किसानों पर दबाव डालता था। नील की खेती से भूमि बंजर हो जाती थी। साथ ही नीलहे साहब इस नील को बहुत ही कम कीमतों पर खरीदते थे। इस प्रकार किसानों का आर्थिक व शारीरिक शोषण किया जाता था। तिनकाठिया प्रणाली से तंग आकर बिहार के किसान नेता राजकुमार शुक्ल गांधी जी को बिहार आने तथा इस समस्या के समाधान के लिए आमंत्रित किया। फलत: गांधी जी चंपारण आकर अपना पहला सत्याग्रह चलाया और तिनकाठिया प्रणाली को समाप्त कर वहां के किसानों की मदद की
इस प्रकार गांधी जी का पहला सत्याग्रह सफल रहा।
प्रश्न - 𝟏. अहमदाबाद सत्याग्रह का वर्णन करें।
उत्तर- अहमदाबाद में मुख्य समस्या मजदूरों की थी। अहमदाबाद के सूती मिल बड़े पैमाने पर स्थापित था। प्रथम विश्व युद्ध के द्रव्यान अहमदाबाद के मिल मालिकों के ऊपर वस्त्रों के निर्माण का दबाव था। इसी समय प्लेग फैला जिसके कारण मिल में काम कर रहे मजदूर ने अहमदाबाद से पलायन करना शुरू कर दिए। उत्पादन कार्य को जारी रखने के उद्देश्य से मिल मालिकों ने मजदूरों को फ्लेग बोनस देने का प्रलोभन दिया। फलत: जान पर खेलकर मिल मजदूर कार्य करते रहे, परंतु प्लेग समाप्ति के बाद मिल मालिकों ने बोनस देने से इनकार कर दिया।
अहमदाबाद के मिल मजदूर गांधी जी को आमंत्रित किया। अहमदाबाद के सबसे बड़े मिल मालिक अंबालाल सारावाही थे जो गांधीजी के मित्र थे। गांधी जी अहमदाबाद के मिल मजदूरों के समर्थन में सत्याग्रह का आयोजन किया। पहली बार गांधीजी भूख हड़ताल पर बैठे। अंततः गांधी जी के प्रयासों से मिल मालिक और मजदूरों के बीच समझौता हुआ। मिल मालिक 35% बोनस देने पर तैयार हुए। इस प्रकार गांधी जी का यह सत्याग्रह भी सफल रहा।
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